इंदौर का इतिहास
इंदौर के इतिहास से पता चलता है कि शहर के संस्थापकों के पूर्वज मालवा के वंशानुगत जमींदार और स्वदेशी भूस्वामी थे। इन जमींदारों के परिवारों ने शानदार जीवन व्यतीत किया। उन्होंने होल्कर के आगमन के बाद भी एक हाथी, निशान, डंका और गाडी सहित रॉयल्टी की अपनी संपत्ति को बनाए रखा। उन्होंने दशहरा (शमी पूजन) की पहली पूजा करने का अधिकार भी बरकरार रखा। मुगल शासन के दौरान, परिवारों को सम्राट औरंगज़ेब, आलमगीर और फ़ारुक्शायार ने अपने जागीर के अधिकारों की पुष्टि करते हुए, सनद दी।
मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र पर स्थित इंदौर, राज्य के सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्रों में से एक है। इंदौर का समृद्ध कालानुक्रमिक इतिहास गौर करने लायक है। योर के दिनों में भी यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। लेकिन आज कॉर्पोरेट फर्मों और संस्थानों के प्रवेश के साथ, इसने देश के वाणिज्यिक क्षेत्र में एक बड़ा नाम कमाया है। जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, होलकर कबीले के मल्हारो होल्कर ने 1733 में मालवा की विजय में अपनी लूट के हिस्से के रूप में इंदौर को प्राप्त किया। उनके वंशज, जिन्होंने मराठा संघ के मुख्य भाग का गठन किया, पेशवाओं और सिंधियों के साथ संघर्ष में आए और जारी रखा गोर की लड़ाई। ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के साथ इंदौर के इतिहास में एक तीव्र मोड़ आया।
इंदौर के होलकरों ने 1803 में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में भाग लिया था। उनकी महिमा धूल से चकित हो गई थी जब वे अंततः 1817- 1818 में तीसरे एंग्लो मराठा युद्ध में मारे गए थे। होलकर राजवंश को हार का सामना करना पड़ा और एक बड़ा हिस्सा छोड़ना पड़ा। उनके अधीन प्रदेशों का। मामले तब चरम पर आ गए जब अंग्रेजी ने उनके उत्तराधिकार में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। उत्तराधिकारियों में से दो रहस्यमय परिस्थितियों में बच गए। इंदौर का इतिहास भारत की स्वतंत्रता तक दिनों के अनुसार और गहरा होता गया जब 1947 में भारत के प्रभुत्व में राज्य आया।
राजवाड़ा
यह नगर के बीचोबीच स्थित है। १९८४ के दंगों के समय इसमें आग लग जाने से इसको बहुत क्षति पहुँची थी। उसके बाद इसको कुछ सीमा तक पुनर्निर्मित करने का प्रयत्न किया गया।रजवाड़ा महल, इंदौर पर्यटन के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। राजवाड़ा, होलकर राजवंश के शासकों की ऐतिहासिक हवेली है। इस महल का निर्माण लगभग 200 साल पहले हुआ था और आज तक यह महल पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण रखता है। इस महल की वास्तुकला, फ्रैंच, मराठा और मुगल शैली के कई रूपों व वास्तुशैलियों का मिश्रण है। यह इमारत, शहर के बीचों-बीच शान से खड़ी है जो सात मंजिला इमारत है। इस महल का प्रवेश बेहद सुंदर व भव्य है। एक महान तोरण, महल के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। लकड़ी और लोहे से निर्मित राजसी संरचना से बना महल का प्रवेश द्वार यहां आने वाले हर पर्यटक का स्वागत करता है। यह पूरा महल लकड़ी और पत्थर से निर्मित है। बड़ी – बड़ी खिड़कियां, बालकनी और गलियारे, होलकर शासकों और उनकी भव्यता का प्रमाण है। इंदौर आने वाले हर पर्यटक को रजवाड़ा अवश्य आना चाहिए।
महात्मा गांधी हॉल
महात्मा गांधी हॉल, इंदौर की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इस हॉल का निर्माण 1904 में करवाया गया था और इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल रखा गया था। भारत की आजादी के बाद, इस भव्य हॉल का नाम 1948 में बदलकर महात्मा गांधी हॉल कर दिया गया। इस हॉल का निर्माण भारतीय – गोथिक शैली में किया गया है जिसे बंबई के चार्ल्स फ्रेडरिक स्टीवंस ने डिजायन किया था। इस हॉल की वास्तुकला आश्चर्यचकित कर देने वाली है। शहर में इसे टाउन हॉल के नाम से भी जाना जाता है। हॉल में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण एक घड़ी टॉवर है। चारों तरफ मुंह वाला यह टॉवर हॉल के बीचों – बीच में स्थित है और एक गुंबद से घिरा है। स्थानीय लोगों के बीच इस टॉवर को इस घडी की वजह से क्लॉक टॉवर या घंटाघर भी कहा जाता है। खुली छत, सजवटी पट्टियां, ऊंची छतें, सुसज्जित कमरे, मीनारें आदि इस हॉल को भव्यता प्रदान करते है। इस हॉल में एक समय में 2000 लोग भी आ सकते है। हॉल में बच्चों के लिए पार्क और एक पुस्तकालय भी है।
लाल बाग महल
लाल बाग महल, इंदौर के सबसे शानदार महलों में से एक है। यह महल, खान नदी के तट पर तीन मंजिला इमारत के रूप में खड़ी एक शानदार संरचना है। इस महल का निर्माण महाराजा शिवाजी राव होलकर ने करवाया था। इस महल का इस्तेमाल होलकर शाही परिवार के द्वारा मेजबानी में किया जाता था।
लाल बाग पैलेस, इंदौर के सबसे अनूठे व प्रसिद्ध महलों में से एक है जिसकी वास्तुकला बेहद अनूठी है। इस महल में होलकर शासकों की जीवन शैली की झलक स्पष्ट तौर पर देखने को मिलती है। इस महल में भारत का सबसे सुंदर गुलाबों का बगीचा भी स्थित है। महल का प्रवेश द्वार बेहद सुंदर है। लाल बाग महल को भारत और इटली के कई अन्नय चित्रों व मूर्तियां से सजाया गया है। इस महल की दीवारों पर व छत पर नक्काशी बनी हुई है। महल में एक सिक्का संग्रहालय भी है। 28 एकड़ में फैले इस महल को एक संग्रहालय में बदल दिया गया है।
केंद्रीय संग्रहालय
इंदौर संग्रहालय, इंदौर शहर की विरासत को बरकरार रखता है। इस संग्रहालय को केंद्रीय संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। जो लोग इंदौर की संस्कृति और परंपरा की जड़ों को जानना चाहते है कि कैसे यहां की समृद्ध सभ्यता का विकास हुआ आदि, वह लोग इस संग्रहालय की सैर के लिए अवश्य आएं। यह संग्रहालय, परमार मूर्तियों के बारे में जानने के लिए सबसे अच्छा स्थान है, परमार मूर्तियों की उत्पत्ति इंदौर में ही हुई थी। इंदौर संग्रहालय में समृद्ध और विविध हिंदू और जैन धर्म की कई मूर्तियों को रखा गया है। इस संग्रहालय में प्रागैतिहासिक काल की कलाकृतियों, सिक्कों का संग्रह, हथियार, पौराणिक नक्काशियों आदि का काफी उत्तम संग्रह है। यह संग्रहालय, इंदौर का इतिहास जानने के लिए सबसे अच्छा स्थल है। यहां आकर पर्यटक इंदौर की समृद्ध विरासत को देख व महसूस कर सकते है, यहां आने वाले पर्यटक संग्रहालय की यात्रा के बाद इंदौर से काफी फैमिलियर हो जाते है।