वर्षों से इंदौर शहर ने सभी जातियों, पंथ, रंग के लोगों का स्वागत किया है; देश के सभी कोनों के लोग विशेष रूप से केरल, गुजरात, राजस्थान जो से पलायन कर चुके हैं और म.प्र. में अपनी आजीविका, शिक्षा या सिर्फ अपनी शांतिपूर्ण संस्कृति के लिए लोग आयें हैं वे अत्यधिक सामाजिक और प्रगतिशील हैं, यही वजह है कि दक्षिण, उत्तर, पूर्व और पश्चिम की सभी संस्कृतियां इंदौर के जीवन में घुलमिल गई हैं। एकता में अनेकता की सच्ची भावना परिलक्षित होती है।
मिश्रित संस्कृति को आमतौर पर दक्षिण भारतीय ‘इडली-डोसा’, ‘वड़ा-सांभर’ से लेकर ‘दाल-बाफला’ ठेठ मालवा फूड तक देखा जा सकता है। इंदौर अपने विभिन्न प्रकार के नमकीन, गुजराती और चिनैनी फूड रेस्तरां, रस मिठाई के लिए जाना जाता है।
इंदोरियों पर एक दिलचस्प शोध ने बड़ी संख्या में हृदय रोग, उच्च रक्तचाप के रोगियों को उनके भोजन की आदतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इंदौर में जीवन की शुरुआत चाय की चुस्कियों के साथ गरम गरम पोहा और जलेबी से होती है और इसके बाद स्वादिष्ट लंच होता है, जिसमें लोकप्रिय ‘बेसन व्यंजन’ भी शामिल होते हैं। दिन के अंत होते होते आसानी से ‘खमन’, ‘कचौरी – आलू कचौरी, दाल कचौरी,’समोसा’, ‘पेटिस’,’बेक्ड समोसा’, ‘भेल पूरी’, ‘पानी पुरी’, ‘मठरी’ आदि स्नैक्स पा सकता है। ।
इंदौर में मिठाई की कई दुकानों ने अच्छा कारोबार किया है। देर रात एक और बाजार सरफा (शहर का दिल) में 11:00 बजे जीवंत हो जाता है, जहां एक अच्छा खाने के बाद आनंद लेने के लिए बहुत सारे व्यंजनों का आनंद मिलता है जैसे – ‘गजक’, ‘भुट्टा किस’, ‘गुलाब जामुन’, ‘गराडू ‘ , ‘रबड़ी’, ‘गरम मीठा दूध ’, आलू टिकिया, गाजर हलवा , मूंग हलवा, आइसक्रीम शेक इत्यादि और अंत में अपना दिन ख़त्म करने के लिए स्वादिष्ट पान